नये साल का पहला दिन।
गुजरे सबका अच्छा दिन।
सूरज निकला आया दिन।
सूरज डूबा बीता दिन।
नाबीना ये क्या जाने,
कैसी रातें कैसा दिन।
दिल में आग लिये सूरज।
दर-दर भटका सारा दिन।
सुबह से लेकर शाम तलक।
किस्तों में बंट जाता दिन।
कोहरे की चादर ओढे,
ठिठुरी रातें ठिठुरा दिन।
कतरा- कतरा रात कटी,
लम्हा-लम्हा गुजरा दिन।
जाने किसकी आस लिये,
धरती घूमे सारा दिन।
दिनेश दोशी
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